महारानी को जनता से दूर करने में भ्रष्टों का हाथ

महारानी को जनता से दूर करने में भ्रष्टों का हाथ

ए. एस. सिलावट 
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक
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देशभर में जीत रही भारतीय जनता पार्टी अपने राजस्थान में क्यों जनता से दूर होती जा रही है? क्या कारण है कि 4 साल तक एक तरफा राज करने के बाद चुनावी वर्ष में प्रदेश की जनता बीजेपी की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से दूर होती जा रही है। जिस कांग्रेस की केंद्रीय हाईकमान बिखरती जा रही है, उसी कांग्रेस के नेताओं में राजस्थान के नेतृत्व को लेकर आपसी मनमुटाव और फूट होने के बाद भी कार्यकर्ताओं में अगली सरकार कांग्रेस की बनने को लेकर उत्साह है। राजस्थान की बीजेपी सरकार सत्ता से दूर क्यों हो रही है? 
इसके लिए नेताओं और भाजपा कार्यकर्ताओं से अधिक सरकारी अफसरशाही जिम्मेदार है। सरकार के कुछ विभाग जो जनता से सीधे जुड़े हैं। उनमें भ्रष्टाचार जनता की समस्याओं को अनदेखा कर अफसरों को लाभ देने वालों के हितों की रक्षा। अफसरों द्वारा जनता के दर्द को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक नहीं पहुंचने देना। अगर कोई हिम्मत कर महारानी साहिबा तक पहुंच जाए तो अफसर अपनी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री को संतुष्ट करने के लिए झूठे आंकड़े, जिलों से झूठी रिपोर्ट पेश कर प्रदेश में सब ठीक चलने का झूठा आश्वासन प्रदेश की मुख्यमंत्री को देते रहते हैं।
अफसरों पर प्रदेश की जागरूक मुख्यमंत्री महारानी साहिबा की गाज नहीं गिरे। इसलिए भ्रष्ट अफसरों की टीम को बचाने के लिए सीएमओ यानी मुख्यमंत्री कार्यालय में अफसरों की एक लोबी सिंडिकेट या सरल शब्दों में कहा जाए तो एक गिरोह बना हुआ है जो जनता को परेशान करने वाले मंत्रियों के आदेशों को जानबूझकर हवा में उड़ाने वाले अफसरों के काले कारनामों की भनक जब मुख्यमंत्री तक पहुंचती है। तब सीएमओ की अफसर बचाओ लोबी उनकी वकालत और  सीएम के प्रति वफादारी की झूठी कहानियां सुनाकर भ्रष्ट अफसरों को बचा रही है। 
अब हम उन विभागों पर एक नजर डालें जो बीजेपी सरकार से जनता का मोहभंग कर चलता करने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इन विभागों में स्वायत्त शासन, नगर विकास और उद्योग से जुड़े पर्यावरण विभाग, जंगल से जुड़े खनिज और वन विभाग सरकार को बदनाम करवाने में पानी, बिजली, शिक्षा और चिकित्सा विभाग से अधिक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। 
अब हम आपको सरकार डुबाने में सक्रिय विभागों की लिस्ट में से एक विभाग पर्यावरण मंडल का नजारा पेश करते हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य स्तर पर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल स्थापित कर रखा है। जिसकी चेयरमैन सुपर स्केल आईएएस को राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तकनीकी रूप से अयोग्य घोषित कर प्रदूषण मामलों पर निर्णय लेने के पावर सीज कर रखे हैं। फिर भी प्रदूषण मंडल की चेयरमैन कुर्सी से चिपके हुए हैं। जबकि एनजीटी एक न्यायालय है जो देश के सवा सौ करोड़ लोगों का जनजीवन स्वस्थ रखने वाले नदी, पर्वत, हवा को शुद्ध रखने के लिए पर्यावरण के लिए बने विभागों की मॉनिटरिंग और शिकायतों का निस्तारण करता है। 
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल राजस्थान की वसुंधरा सरकार की लोकप्रियता खत्म करने में कैसे भूमिका निभा रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण प्रदेश के भीलवाड़ा, सांगानेर जयपुर, भिवाड़ी, पाली, जोधपुर और बालोतरा में टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े तेजाबी पानी के प्रदूषण से लूनी नदी, बांडी नदी, सुकड़ी नदी का बांध सांगानेर के आसपास की कृषि भूमि बंजर, भूगर्भ यानी अंडर ग्राउंड वाटर तेजाबी, मवेशियों में फैक्टि्रयों के तेजाबी पानी से चर्म रोग हो रहा है। इन सबके बाद प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चेयरमैन तेजाबी पानी की झूठी टेस्टिंग रिपोर्टों को फाइलों में लगाकर किसानों, ग्रामीणों और फैक्टि्रयों से जुड़े लोगों के जीवन से खिलवाड़ करवा रहे हैं। वहीं प्रदूषण मंडल के उच्च अधिकारियों पर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के बदले टेक्सटाइल की बड़ी फैक्टि्रयों, दूषित पानी को ट्रीट करने के लिए बने ट्रीटमेंट प्लांटों का संचालन करने वालों से हफ्ता वसूली के आरोप भी लगते रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पास ही खनिज, टूरिस्ट होटलों से जुड़ा पर्यावरण भी है। गांवों से लगे पहाड़ों से सीमेंट फैक्टि्रयों के अलावा ठेकेदारों के अवैध खनन से बर्बाद हो रहे जंगलों की नियमित शिकायतों के बाद भी जयपुर मुख्यालय पर्यावरण से जुड़ी शिकायतों को डस्टबिन में डाल कर अवैध खनन करने वालों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के भागीदार बन बैठे हैं प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी। 
माउंट आबू, कुंभलगढ़, राजसमंद, उदयपुर की पहाड़ियों में अवैध होटलों की भरमार है। इन अवैध होटलों के वन क्षेत्र में बनने एवं निर्माण में प्रदूषण नियंत्रण मंडल के जयपुर स्थित मुख्यालय का सीधा हाथ है। पिछले दिनों एक सीमेंट फैक्ट्री को पर्यावरण विभाग द्वारा एनओसी जारी नहीं करने के बावजूद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथों प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चेयरमैन की स्वीकृति से शिलान्यास करवाकर बीजेपी सरकार को बदनाम करवाने में प्रदूषण मंडल के अधिकारियों ने अहम भूमिका अदा की है। 
बीजेपी सरकार से जनता का मोह भंग करने में सहभागी प्रदूषण नियंत्रण मंडल का एक और कारनामा बजट में ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना हेतु 100 करोड़ की घोषणा के बाद पाली के सीईटीपी ट्रस्ट पर आरएएस अधिकारी नियुक्त कर ट्रीटमेंट प्लांट में चल रही धांधली रोकने के प्रयासों को सीएमओ की हरी झंडी मिलने के बाद भी पाली के सीईटीपी ट्रस्ट को सरकारी अधिग्रहण में लेकर आरएएस प्रशासक नियुक्त करने का विरोध प्रदूषण मंडल के उच्च अधिकारी द्वारा करने का समाचार भी मंडल अधिकारियों की ईमानदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
सरकारें आती-जाती या बदलती रहेंगी। लेकिन अफसरों का जनता के प्रति ईमानदार होना प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के लिए जरूरी है। और हम उम्मीद करते हैं, कि कुछ भ्रष्ट अफसरों को छोड़कर राजस्थान के ब्यूरोक्रेट्स प्रदेश के विकास में सक्रिय रहेंगे।  assilawat@gmail.com

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