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Showing posts from June, 2017

मोदी के कदम दोबारा प्रधानमंत्री की ओर...

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ट्रम्प ने गले लगाया : साबरमती से अहिंसा संदेश मोदी के कदम दोबारा प्रधानमंत्री की ओर... अब्दुल सत्तार सिलावट - वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका, नीदरलैंड यात्रा के बाद साबरमती आश्रम से गौरक्षकों को जिस भाषा, जिन शब्दों और जिस लहजे में जवाब दिया है इसके बाद मोदी विरोधियों को अपनी आलोचनाओं, विरोधी टिप्पणीयों और मोदी राज के समापन के सपने पर पुनर्विचार कर लेना चाहिये। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जो छवि बनाई है उसमें अमेरिका का राष्ट्रपति छोटा दिखाई देने लगा है। जो अमेरिकी राष्ट्रपति एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से प्रेम पूर्वक हाथ नहीं मिलाते और ट्रम्प जैसे राष्ट्रपति तो बदमिजाजी के लिए अलग पहचान रखते हैं। वही राष्ट्रपति ट्रम्प हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई के लिए व्हाइट हाऊस के बाहर कार के गेट तक सपत्निक पहुंचते हैं और प्रेस कांफ्रेंस, डिनर और समझौतों की बात करते-करते तीन बार आगे बढ़कर नरेन्द्र मोदी को स्वयं गले लगाते हैं। यह दौरा भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के सम्मान और मोदी सरकार की तीन स

देश के मौजूदा हालात पर भी चिंतन करें...

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इंदिरा के आपातकाल को याद करने वाले देश के मौजूदा हालात पर भी चिंतन करें... अब्दुल सत्तार सिलावट - वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक नई दिल्ली। भारत को अंग्रेजों की ग़ुलामी से आज़ादी का नारा देने वाले कोई राजनेता नहीं बल्कि सन्यासी थे। इसका उल्लेख बंकिमचन्द्र चटर्जी के उपन्यास ‘आनन्दमठ’ में मिलता है। इस आज़ादी की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए 1887 में इंगलैंड की धरती पर दादा भाई नौरोजी ने भारतीय सुधार समिति की स्थापना की थी। और ब्रिटीश हाऊस ऑफ कॉमन्स का चुनाव लड़ने वाले पहले भारतीय भी दादा भाई नौरोजी ही थे। अंग्रेजों के ख़िलाफ़ आज़ादी की मांग करने वाले नौरोजी भारतीय देशद्रोही, गद्दार और अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए जिनकी याद में आज भी हमारे राजनेता अपनी अपनी सुविधा और उनकी जाति के वोटों के लाभ लेने के लिए दादा भाई को अपनी पार्टी का आदर्श बताकर उनकी तस्वीरों, आदमकद प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाते हैं। भारत में दूसरी बार आज़ादी का नारा 18 मार्च 1974 को पटना के गांधी मैदान में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सिर्फ बिहार को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए विशाल रैली में दिया था और इस आन्दोलन को सफल ब

मदन राठौड़ ने कहा नगर परिषद का अतिक्रमण हटाने में सौतेला व्यवहार नहीं चलेगा

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जीएसटी मोदी का भविष्य बनेगी...

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जीएसटी मोदी का भविष्य बनेगी... अब्दुल सत्तार सिलावट - वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीन साल। लोकप्रिय भाजपा सरकार के एक तरफा हर फैसले को पूरे देश ने स्वीकारा। विपक्षी, विरोधी और व्यक्तिवाद सरकार का आरोप लगाने वाले मोदी विरोधी भी देश भर के समर्थन के सामने नतमस्तक होकर विरोध की राजनीति में स्वयं ही थककर 2019 के इन्तजार में बैठ गये। मोदी की लोकप्रियता को तीन साल बाद जीएसटी टेक्स की पेचिदगीयों और प्याज के छिलकों की तरह हर शर्त के पीछे एक शर्त और व्यापारी को चोर के रूप में जीएसटी की हर भूल के पीछे की सजा का भय। अब मोदी भक्तों में ‘‘मोदी-मोदी’’ के लगाये नारों को अपनी भूल समझने पर मजबूर कर रहे हैं तथा मोदी की आलोचना करने वालों पर बाहें तानकर आने वाले मजबूरन जीएसटी के विरोध में मौन जुलूस, काली पट्टीयां बांधकर विरोध करने लगे हंै। सरकारों को चुनावों में बहुमत मिले। यहां तक तो ठीक है। इसी प्रकार कोई नेता लोकप्रिय हो, जनप्रिय हो। यह भी ठीक है, लेकिन अत्याधिक मतों से जीत और नेता का अत्याधिक लोकप्रिय होना खतरनाक होता है। इसे Short Term Effection (शॉर्ट ट