राष्ट्रपति कोविंद देश को नई दिशा देंगे


राष्ट्रपति कोविंद देश को नई दिशा देंगे

अब्दुल सत्तार सिलावट
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक
नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्रीयों के शुभ मुहूर्त के अनुसार देश के चौदहवें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 बजकर 3 मिनट पर संसद में प्रवेश कर सवा बारह बजे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति जे.एस. खेहर से शपथ के साथ प्रणब मुखर्जी की कुर्सी बदल विधिवत राष्ट्रपति पद ग्रहण किया। 
देश की आजादी 15 अगस्त 1947 के बाद राष्ट्रपति बनना, शपथ होना, 21 तोपों की सलामी जैसी परम्परा को रायसीना हील्स याने राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के सैन्ट्रल हॉल ने चौदह बार देखा है। लेकिन आज के राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह की विशेष बात शपथ के तत्काल बाद मात्र औपचारिकता में पढ़ा जाने वाला नये राष्ट्रपति का भाषण परम्पराओं से अलग हटकर देश के सवा सौ करोड़ लोगों के दिलों को छू लेने वाला था। 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का यह भाषण किसी सरकारी अफसर की कलम से नहीं स्वयं नये राष्ट्रपति ने अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोया हो ऐसा लगता है। पहले भाषण का एक-एक शब्द और एक-एक लाईन को यदि नये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यदि 2022 तक के पांच साला कार्यकाल में देश के विकास में लागू करते हैं तो आजादी के बाद पहले राष्ट्रपति कोविंद होंगे, जिनकी भारत के सवा सौ करोड़ लोग दिल से पूजा करेंगे और अमेरिका की तरह भारतीय लोकतंत्र में भी राष्ट्रपति का महत्व बढ़ जायेगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पहले सम्बोधन में छोटे से घर से राष्ट्रपति भवन के सफर के उल्लेख के साथ देश को आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने के विश्वास के साथ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्ण, कलाम साहब के साथ प्रणब मुखर्जी के पदचिंहों पर चलने का संकल्प। देश की स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल कैसा भारत चाहते थे उन्हें याद कर गुजरात और प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त कर दिया। 
नये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कैसे भारत निर्माण की कल्पना करते हैं उसमें राष्ट्रपति ने बताया नैतिक आदर्शों वाला भारत। देश के विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति, भाषा, वेषभूषा में विभिन्नता के बाद भी मजबूत भारत में सबका सहयोग। इक्कीसवीं सदी के भारत में औद्योगिक क्रांति के साथ ग्रामीण सामुदायिक विकास के साथ डिजिटल प्रणाली। देश के विकास में प्रत्येक नागरिक बराबर का भागीदार। देश की सुरक्षा में लगे सीमा पर जवान, देश भीतर पुलिस, अर्ध सैनिक बल, वैज्ञानिक, डॉक्टर, नर्स शिक्षक सभी देश के विकास में अहम रोल अदा कर रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किसानों के साथ खेतों में काम कर रही महिलाओं के अलावा आदिवासी वन क्षेत्र में पर्यावरण की रक्षा करने वालों एवं गांवों में सेवाएं दे रहे लोगों को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बताया। शपथ के साथ पहले भाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने पद की गरीमा के अनुकूल यह संदेश देने का प्रयास किया है कि अब भाजपा या राजनीति से अलग और ऊपर उठकर देश के सवा सौ करोड़ भारतीयों को बिना धर्म, जाति, वर्ग या क्षेत्रीयता के भेदभाव के सभी को साथ लेकर नये भारत का निर्माण करेंगे।
आज के शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति कोविंद सैन्ट्रल हॉल की पहली पंक्ति में बैठे प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के साथ जब लालकृष्ण आडवाणी और उनके साथ खड़े मुरली मनोहर जोशी से जब मिले तब राष्ट्रपति के अभिवादन में इन दोनों नेताओं का दिया सम्मान अविस्मरणीय था। राष्ट्रपति कोविंद के पहले आधा घंटे की झलकियां, उनका भाषण, उनकी विनम्रता और सेवानिवृत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को साथ चलने से लेकर राष्ट्रपति भवन से उनके नये निवास तक पहुंचाने में दिया सम्मान ने राष्ट्रपति कोविंद के चयन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उपयुक्त और प्रशंशनीय निर्णय साबित कर दिया। देश को इंतजार रहेगा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पांच साल के कार्यकाल में 2022 में देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। तब तक आज के पहले भाषण में किये देश के विकास के सपने को साकार करे। बिना राजनैतिक दबाव और बिना रबड़ स्टाम्प राष्ट्रपति बने।

चलते-चलतेः राष्ट्रपति भवन में लगा है धौलपुर राजस्थान का पत्थर

राष्ट्रपति भवन अब तक 340 कमरों और विशाल मुगल गार्डन की पहचान के साथ ही देखा जाता है जबकि राष्ट्रपति भवन 17 साल के निर्माण के बाद 1929 में जब बनकर तैयार हुआ तब तक साढ़े तीन हजार मजदूरों, कारीगरों और इंन्जिनियरों ने दिन रात काम किया। राष्ट्रपति भवन के स्थान पर पहले रायसीना के नाम से पहाड़ी थी और इसे तोड़कर अंग्रेजों ने वायसराय भवन के निर्माण की जिम्मेदारी उस जमाने के मशहूर आर्चीटेक्ट लुटियन्स को दी। जिन्होंने इस भवन में मार्बल तो इटली से मंगवाया, लेकिन बाहर से खुबसूरती से दिख रहे राष्ट्रपति भवन का पत्थर राजस्थान के धौलपुर से एक ही चट्टान या खान से मंगवाया। राष्ट्रपति भवन की सजावट में विशाल झाड़-फानुस बेल्जियम से मंगवाये गये हैं जबकि इस विशाल भवन के निर्माण में स्टील का उपयोग नहीं किया गया है।
राष्ट्रपति भवन का मुख्य आकर्षण 190 एकड़ में फैला विशाल मुगल गार्डन है जिसकी सार सम्भार शायद आपके किचन गार्डन में भी ऐसी नहीं हो सकती है। इसी के साथ ढ़ाई किलोमीटर लम्बे कोरिडोर वाले राष्ट्रपति भवन के मुख्य गुम्बद के नीचे बना दरबार हॉल जिसके मध्य में बिछा लाल कारपेट जो सीधे इंडिया गेट के शहीद स्मारक तक एक ही लेवल में जाता है और दरबार हॉल के मध्य से दोनों तरफ राष्ट्रपति भवन बराबर आधे भाग में बंटा हुआ है।

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