मोदी के कदम दोबारा प्रधानमंत्री की ओर...


ट्रम्प ने गले लगाया : साबरमती से अहिंसा संदेश

मोदी के कदम दोबारा प्रधानमंत्री की ओर...

अब्दुल सत्तार सिलावट - वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका, नीदरलैंड यात्रा के बाद साबरमती आश्रम से गौरक्षकों को जिस भाषा, जिन शब्दों और जिस लहजे में जवाब दिया है इसके बाद मोदी विरोधियों को अपनी आलोचनाओं, विरोधी टिप्पणीयों और मोदी राज के समापन के सपने पर पुनर्विचार कर लेना चाहिये।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जो छवि बनाई है उसमें अमेरिका का राष्ट्रपति छोटा दिखाई देने लगा है। जो अमेरिकी राष्ट्रपति एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से प्रेम पूर्वक हाथ नहीं मिलाते और ट्रम्प जैसे राष्ट्रपति तो बदमिजाजी के लिए अलग पहचान रखते हैं। वही राष्ट्रपति ट्रम्प हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई के लिए व्हाइट हाऊस के बाहर कार के गेट तक सपत्निक पहुंचते हैं और प्रेस कांफ्रेंस, डिनर और समझौतों की बात करते-करते तीन बार आगे बढ़कर नरेन्द्र मोदी को स्वयं गले लगाते हैं। यह दौरा भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के सम्मान और मोदी सरकार की तीन साल की सफलताओं का वर्ल्ड गिनीज बुक में नाम लिखवाने जैसी घटना बन गया है।
नरेन्द्र मोदी 2002 के गुजरात के दंगों की छवि को पिछले तीन साल से सुधारने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अमेरिकी दौरे और आज साबरमती आश्रम से गौरक्षा के नाम से चल रही गुण्डागर्दी को रोकने का जो सख्त संदेश दिया है उसके बाद नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में लाल किले की दिवार से सौ दौ सौ साल तो नहीं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में मौजूदा बहुमत से दो कदम आगे बढ़कर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सकते हैं... इतना ही नहीं बल्कि अगली सरकार भी मोदी सरकार ही होगी। यह निश्चितता दिखाई देने लगी है।
नरेन्द्र मोदी को पिछले तीन साल में सिर्फ भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद या कांग्रेस विरोधी राजनैतिक दलों ने अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए स्वीकारा था। लेकिन अब मुसलमानों के रूमाल-टोपी से दूर भागने वाले नरेन्द्र मोदी की तरफ स्वयं देश के कट्टरपंथी मौलानाओं का रूख नरम हुआ है। मुसलमानों को आज का नरेन्द्र मोदी अब तीन तलाक या चार शादियों के नाम पर विरोधी नजर नहीं आ रहा है। 2016 में तेलंगाना के थर्मल पावर प्लान्ट समारोह से गौरक्षकों को नकली गौरक्षकों से सावधान रहने की हिदायत में विधानसभा चुनावों की राजनीति दिखाई दे रही थी। लेकिन महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम से आज गौरक्षा के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं करने, गौरक्षा ब्रिगेडों के खिलाफ सख्त शब्दों का संदेश और गौभक्ति के नाम पर इंसानों की हत्या पर कैसी गौरक्षा का प्रश्न चिन्ह इस नरेन्द्र मोदी के दिल से निकली बात है। गौ हत्या के नाम पर कानून को हाथ में लेकर सिर्फ मुसलमानों की हत्याओं पर नरेन्द्र मोदी की पीड़ा आज के संदेश में स्पष्ट दिखाई दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गौरक्षकों को गांधी और विनोबा भावे की गौभक्ति से सीख लेने का संदेश, हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं जैसे प्रधानमंत्री के वक्तव्य में राजनीति नहीं गौरक्षा के नाम पर मुस्लिमों को निशाना बना रहे नकली गौभक्तों को अब लक्ष्मण रेखा में रहने का सख्त संदेश दिया है। आज के समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर के मुसलमानों के दिलों में आत्मविश्वास और सुरक्षा का सीधा संदेश दिया है।
पिछले एक साल से देश में मुसलमानों में असुरक्षा और भय का ऐसा वातावरण बन गया था कि हर कोई अपने आप को अपने ही देश, अपने ही घर और अपने ही हिन्दू दोस्तों के बीच बेगाना, मेहमान या पाकिस्तानी नागरिक जैसा समझने लगा था। गौरक्षकों के जानलेवा हमले के साथ भारत-पाक क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के जीतने के बाद कश्मीर में लगे पाकिस्तान समर्थक नारों को पूरे देश के मुसलमानों के नाम से सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कर ऐसा माहौल बना दिया जैसे भारत का मुसलमान कश्मीरियों की तरह पाकिस्तान को अपना वतन मानता है और भारत में तो मजबूरी में बैठा है। कई जगहों पर पुलिस पर पाकिस्तानी क्रिकेट जीत पर पटाखे और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के नाम पर झूठे मुकदमें दर्ज करने के आरोप भी लगे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज गौरक्षकों के जुल्मों पर जो भी बोले दिल से बोले और देश के मुसलमानों में मोदी जी के प्रति अच्छे, गैर साम्प्रदायिक प्रधानमंत्री की छवि बनाने में आज का संदेश मददगार साबित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी जी, आप एक बार आपके मंत्रिमण्डल, भाजपा संगठन और आपकी सरकार के मददगार उन लोगों को भी ऐसे ही सख्त और दिल से एक बार साथ बैठाकर या किसी सार्वजनिक मंच से फटकार लगा दें कि अब बिना गम्भीर मुद्दे के मुसलमानों के खिलाफ टीवी चैनलों पर चेहरा दिखाने की होड़ में बोलना बंद कर देवें और आप जो सुरक्षा का विश्वास पैदा कर रहे हैं उसमें विषबाण छोड़ने वाले एक दर्जन नेताओं को भी कंट्रोल कर 2019 में दोबारा राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल से शपथ ग्रहण का दूरदर्शन से प्रसारण का अवसर तैयार करें।

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